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मथुरा । वृंदावन छटीकरा मार्ग स्थित डालमिया बाग में 19 सितंबर को हरे पेड़ कटाई के मामले में सोमवार को एनजीटी राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में सुनवाई हुई। दोनों पक्षो को सुनने के पश्चात एनजीटी कोर्ट ने अगले साल 22 जनवरी की पुन: सुनवाई की डेट निर्धारित की है। कोर्ट ने जिलाधिकारी सहित पांच उच्च अधिकारियों की कमेटी बनाने के आदेश किए हैं जो कोर्ट में अगली सुनवाई से पूर्व अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस प्रकरण में शंकर सेठ की ओर से देश के जाने-माने अधिवक्ता गौरव भाटिया ने जिरह करते हुए कहा कि प्रतिवादी संख्या 10 शंकर सेठ का पेड़ो की कटाई के मामले से कोई लेना देना नहीं है और इस मामले में प्रतिवादी बनाना वादी के स्वार्थ परता का परिणाम है। अधिवक्ता राहुल कुमार ने ये भी जानकारी दी की प्रतिवादी नंबर 10 पेड़ो की कटाई के सख्त खिलाफ हैं एवं उनके परियोजनाओं में जो उनके समहू द्वारा पूर्व में सम्पूर्ण की गई हैं उनमे सभी तरह के पर्यावरण कानूनो का ध्यान रखते हुए पालन किया गया है। माननीय एनजीटी में आज हुई सुनवाई के दौरान डालमिया फॉर्म से जुड़े हुए मामले पर नोटिस इशू करते हुए न्यायालय ने यह निर्देश दिया की पेड़ों को काटने की सच्चाई के बारे में माननीय न्यायालय को अवगत करवाने हेतु एक कमेटी का गठन किया जाए जिसमें मुख्य रूप से जिलाधिकारी मथुरा जो की नोडल अधिकारी रहेंगे तथा सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एक सदस्य, मेंबर MOEF मिनिस्ट्री ऑफ़ एनवायरनमेंट एंड फॉरेस्ट क्लाइमेट चेंज लखनऊ के एक सदस्य, प्रिंसिपल चीफ कंसर्वेटर ऑफ फारेस्ट के एक सदस्य, तथा निदेशक फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया रहेंगे। मामले में शंकर सेठ गुरु कृपा तपोवन कॉलोनी की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटीया एवं अधिवक्ता राहुल कुमार, हिमांशु त्रिपाठी ने पक्ष रखते हुए वादी नरेंद्र कुमार गोस्वामी की सत्यता उजागर करते हुए न्यायलय को वास्तविकता से अवगत करवाया तथा न्यायलय को बताया की वादी श्री गोस्वामी स्वंय एक प्रॉपर्टी डीलर हैं तथा न्यायलय को गुमराह करने की नीयत से एवं अपने स्वार्थ को सिद्ध करने हेतु ही ये याचिका दाखिल की गई है। वादी की मंशा पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटिया ने कहा की याचिकाकर्ता साफ नियत के साथ न्यायलय के समक्ष प्रस्तुत नहीं हो रहे हैं तथा मीडिया पब्लिसिटी के लिए याचिका दाखिल की गई है। माननीय न्यायलय ने ये सुनने के उपरांत किसी भी तरह के अंतरिम राहत से मना कर दिया तथा वादी के खिलाफ जो साक्ष्य हैं उन्हे प्रतिवादी शंकर सेठ के जवाब के साथ दाखिल करने की अनुमति दी, माननीय न्यायलय ने ये भी साफ कर दिया कि सिर्फ उन्ही मुद्दों पर न्यायलय विचार करेगी जो पर्यावरण से सम्बंधित हैं, अदालत ने ये भी कहा कि जब FIR हो चुकी है और मामले की जांच पहले से चल रही है तो इस याचिका का औचित्य नहीं होता लेकिन चूंकि मामला पेड़ो को काटने से सम्बंधित है इस लिए सच्चाई उजागर होनी चाहिए इसी मामले से जुड़े एक अन्य याचिका में जो की महंत मधु मंगल दास शुक्ला द्वारा दाखिल की गई है पर अदालत ने स्पष्ट कर दिया की मामले में किसी भी तरह की आस्था या धर्म के मुद्दों पर ये अदालत सुनवाई नहीं कर सकती और सिर्फ पेड़ो की कटाई के मामले पर ही एन जी टी में सुनवाई होगी दोनों ही मामलों में न्यायलय ने एक समान आदेश करते हुए जाँच कॉमेटी का गठन किया। इस आदेश के बाद शंकर सेठ के खिलाफ मुहिम चलाने वाले लोगो के नापाक मंसूबो पर एक तरह से पानी फिर गया है।
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